राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन है। जो कि पूरे भारत तथा विश्व में फैला हुआ है । तथा जो व्यापक रूप से भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आर एस एस के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1924 को विजयदशमी के दिन डॉक्टर केशव हेडगेवार के द्वारा की गई थी।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत कहां से हुई सन 1907 में बंगाल में आजादी के लिए अनुशीलन समिति के नाम से एक संगठन खड़ा किया गया तथा नागपुर से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए आए केशव बलिराम हेडगेवार भी इस संगठन का हिस्सा बन गए तथा इसके लिए वह एक साल जेल भी गए इसी समय बाल गंगाधर तिलक को कांग्रेस में आने का न्योता मिला तो हेडगेवार जी भी कांग्रेस में उनके साथ शामिल हो गए। परंतु जब 1917 में खलीफा की कुर्सी छीने जाने के आरोप में भारत में भी आंदोलन शुरू हो गया। जिसको कि गांधी जी और कांग्रेस ने पूरा समर्थन दिया। यही बात केशव बली हेडगेवार को अच्छी नहीं लगी। और उन्होंने इसे मुस्लिम तुष्टीकरण राजनीति करार दिया परंतु इसके बाद भी वह कांग्रेस के साथ ही बने रहे।
और यही से उनके झहन में एक बात आई कि क्यों ना एक संगठन बनाया जाए जो कि एक हिंदू राष्ट्र के लिए काम करें उसकी भलाई के लिए काम करें उसकी उन्नति के लिए काम करें। और यही सोच समझ के उन्होंने एक संगठन बनाया।जिसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर से ही की जिसमें उनको सुनने के लिए शुरुआत में सिर्फ 12 लोग आए। पर यह हेडगेवार जी के लिए आसान नहीं था। की एक नई सोच के साथ संगठन को खड़ा करना लेकिन उन्होंने खुद शाखा लगाना शुरू किया। शुरुआत में कुछ लोग उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर आने लगे धीरे-धीरे संख्या बढ़ने लगी और जल्दी ही आर एस एस का विस्तार पूरी मध्य भारत में होने लगा। लेकिन महाराष्ट्र के बाहर विस्तार का मौका तब मिला जब उनीस सौ तीस में हेडगेवार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में आए और मदन मोहन मालवीय जी ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में संघ का कार्यालय खोलने की इजाजत दी गई।
इसके पश्चात जब 1930 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में संघ परिवार को कार्यालय खोलने की अनुमति मिली।
तो संघ परीवार विश्व हिंदू यूनिवर्सिटी का एक अभिन्न अंग बन गया। यहीं पर हेडगेवार जी की मुलाकात माधव राव गोलवलकर जी से हुई। जिन्हें की गुरूजी के नाम से बुलाया जाता था। गोलवलकर जी हेडगेवार जी से मिलकर इतने प्रभावित हुए कि वह भी संघ से जुड़ गए। और संघ के लिए काम करना शुरू कर दिया सन 1940 में जब हेडगेवार जी का निधन हुआ तो। संघ की पूरी कमान गोलवलकर जी के हाथों में आ गई। और सर्व समिति के साथ गोलवलकर जिन्हें की गुरु जी के नाम से बुलाया जाता था। उन्हें संघ के सरसंघचालक बना दिया गया।
यही समय था जब लाखों हिंदू दलित बौद्ध धर्म के अनुयाई बनते चले गए। लेकिन संघ परिवार उत्तर भारत में तेजी से अपनी जगह बनाता चला गया। जहां की दलितों और पिछड़ों की संख्या सबसे ज्यादा मानी जाती थी। और इसी समय नागपुर से प्रचारक बनाकर गोलवलकर जी ने मधुकर दत्ता तेवरस को लखनऊ भेजा। मधुकर जी ने आर एस एस की कमान प्रयागराज में युवा प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उस रज्जू भैया के साथ मुरली मनोहर जोशी को सौंपी। और बीटेक करके एम्टेक कर रहे अशोक सिंघल को भी प्रचारक बनाया गया।तथा नागपुर में m.a. की पढ़ाई कर रहे दीनदयाल उपाध्याय जी भी संघ का हिस्सा बने। तभी नारायण राव के संपर्क में आकर अटल बिहारी वाजपेई जी की मुलाकात भी भाव राव तेवरस से हुई भाव राव तेवरस ने अटल जी को लखनऊ के पास संडीला में आर एस एस के प्रचार का जिम्मा सौंपा और यहीं से स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई।