आज पुरे भारत देश में बस एक ही बहस छिड़ी हुए है कि तीन तलाक की कुरीति को कैसे ख़त्म किया जाये। बहुत सारे लोग होंगे जिन्हें यह पता नही होगा की आखिर तीन तलाक है क्या ? तीन तलाक का अर्थ यह नही है कि तीन बार तलाक बोल दिया और तलाक हो गया, कुरान में इसके बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से बताया गया है।
परन्तु आज तीन तलाक से जिस प्रकार मुस्लिम महिलाओं का शोषण तथा महिलाओं के ऊपर जो अत्याचार हो रहा है यह बिलकुल ही गलत है।
जिस देश में महिलाओं की पूजा की जाती है मुझे लगता है उस देश को ये सब शोभा नही देता परन्तु कुछ लोग है जिनको तीन तलाक को हटाने पर बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है , और ये लोग खुद को अल्लाह (god) का नुमाइंदा बता रहे है। मुझे लगता है कि अल्लाह (god) किसी को ये अनुमति नही देता है कि तुम महिलाओं पर अत्याचार करो फिर चाहे वो किसी की धर्म या किसी भी मजहब की हो ये हमे भली भाती समझ लेना चाहिए।
वैसे तो अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तो अब कोई कुछ भी कहे कोई फर्क नही पड़ता, परन्तु में उन धर्म गुरुओं को कहना चाहता हूं कोई भी स्टेटमेंट देने से पहले ये सोच ले की जिसने तुम्हे दुनिया दिखाई वो भी एक महिला ही होगी , तो जो कुछ भी बोले तोड़ी सोच समझ के बोले हाल ही में मैं एक डिबेट सुन रहा था तो वहा पर कुछ पीड़ित महिलाएं आयी हुई थी। जो की अपनी दास्ता सुना रही थी कोई कह रहा था कि मेरे पति ने मुझे watsapp से तलाक दिया कोई कह रहा था मेरे पति ने मुझे speed post से तलाक दिया और एक महिला बता रही थी की मेरे तीन लडकिया हुए जिस कारण मुझे तलाक दिया गया । सब अपनी अपनी दास्ता सुना रहे थे परंतु वहा बैठे मौलवी यह कह रहे थी की तुम्हारे पति ने तुमको तलाक देकर तुम पे एहसान किया है। एक मौलवी ने तो यह तक कह दिया है कि महिलाओं पुरुष से कम बुद्विमान होती है। जिस माँ ने इनको जन्म दिया है वो भी एक औरत ही होगी आज ये लोग उसी पे अंगुली उठा रहे हे अपशब्द कह रहे है। में मानता हूं मौलवी तथा धर्म गुरुओं को अपने धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए न की ऐसे मामलो मे राजनीति करनी चाहिए।
चलो ठीक है हम मानते है मुस्लिम धर्म में तीन तलाक को हटाना कुरान के खिलाप है। परंतु जब कोई rape करता है, जिसकी सजा मोत है तब तो ये लोग कहते हैं कि देश के कानून से चलेगे, कुरान में यह लिखा गया है कि कोई पुरुष आगर महिला को घूरता है तो उसकी आँखें फोड़ दी जाती है। तब भी ये लोग कुरान को भूल जाते है और फिर इनको देश का कानून याद आ जाता परंतु आज जब देश का कानून तीन तलाक को हटाने की कोशिस कर रहा है तो आज इनको कुरान याद आ गया हैं। उन लोगो से कहना चाहता हूं कि देश संविधान के हिसाब से चलता है ना की कुरान और गीता के हिसाब से, तो में उन लोगो से कहना चाहता हु महिलाओं पर जुर्म करना बंद कर दे ।
परन्तु आज तीन तलाक से जिस प्रकार मुस्लिम महिलाओं का शोषण तथा महिलाओं के ऊपर जो अत्याचार हो रहा है यह बिलकुल ही गलत है।
जिस देश में महिलाओं की पूजा की जाती है मुझे लगता है उस देश को ये सब शोभा नही देता परन्तु कुछ लोग है जिनको तीन तलाक को हटाने पर बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है , और ये लोग खुद को अल्लाह (god) का नुमाइंदा बता रहे है। मुझे लगता है कि अल्लाह (god) किसी को ये अनुमति नही देता है कि तुम महिलाओं पर अत्याचार करो फिर चाहे वो किसी की धर्म या किसी भी मजहब की हो ये हमे भली भाती समझ लेना चाहिए।
वैसे तो अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तो अब कोई कुछ भी कहे कोई फर्क नही पड़ता, परन्तु में उन धर्म गुरुओं को कहना चाहता हूं कोई भी स्टेटमेंट देने से पहले ये सोच ले की जिसने तुम्हे दुनिया दिखाई वो भी एक महिला ही होगी , तो जो कुछ भी बोले तोड़ी सोच समझ के बोले हाल ही में मैं एक डिबेट सुन रहा था तो वहा पर कुछ पीड़ित महिलाएं आयी हुई थी। जो की अपनी दास्ता सुना रही थी कोई कह रहा था कि मेरे पति ने मुझे watsapp से तलाक दिया कोई कह रहा था मेरे पति ने मुझे speed post से तलाक दिया और एक महिला बता रही थी की मेरे तीन लडकिया हुए जिस कारण मुझे तलाक दिया गया । सब अपनी अपनी दास्ता सुना रहे थे परंतु वहा बैठे मौलवी यह कह रहे थी की तुम्हारे पति ने तुमको तलाक देकर तुम पे एहसान किया है। एक मौलवी ने तो यह तक कह दिया है कि महिलाओं पुरुष से कम बुद्विमान होती है। जिस माँ ने इनको जन्म दिया है वो भी एक औरत ही होगी आज ये लोग उसी पे अंगुली उठा रहे हे अपशब्द कह रहे है। में मानता हूं मौलवी तथा धर्म गुरुओं को अपने धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए न की ऐसे मामलो मे राजनीति करनी चाहिए।
चलो ठीक है हम मानते है मुस्लिम धर्म में तीन तलाक को हटाना कुरान के खिलाप है। परंतु जब कोई rape करता है, जिसकी सजा मोत है तब तो ये लोग कहते हैं कि देश के कानून से चलेगे, कुरान में यह लिखा गया है कि कोई पुरुष आगर महिला को घूरता है तो उसकी आँखें फोड़ दी जाती है। तब भी ये लोग कुरान को भूल जाते है और फिर इनको देश का कानून याद आ जाता परंतु आज जब देश का कानून तीन तलाक को हटाने की कोशिस कर रहा है तो आज इनको कुरान याद आ गया हैं। उन लोगो से कहना चाहता हूं कि देश संविधान के हिसाब से चलता है ना की कुरान और गीता के हिसाब से, तो में उन लोगो से कहना चाहता हु महिलाओं पर जुर्म करना बंद कर दे ।
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