Thursday 30 March 2017

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और पत्थर फेंकने वालो से जूझती इंडियन आर्मी

जैसा की हर रोज देखा जा रहा है जम्मू कश्मीर में हर दिन कोई न कोई नई घटना होती रहती है परंतु  आतंकवाद वहां पर सबसे बड़ा मसला है। जिसे पाकिस्तान के द्वारा पाला पोसा  जा रहा है। जिस कारण वहां पर लगभग हर दिन कोई न कोई भारतीय सैनिक सहीद होता है, हर दिन कोई न कोई माँ का लाल अपने परिवार दूर हो जाता है , जो की हमारे लिए दुर्भाग्य पूर्ण घटना है। और ये सिर्फ एक ही कारण से हो रहा है ,घाटी में आतंकवाद बढ़ने से,  सब सोच रहे होंगे कि हम रोज इतने आतंकवादी मार रहे हे पिर ये रोज रोज कहा से आ जाते है। में कहूंगा कि इनका माय बाप पाकिस्तान इनको पाल पास के घाटी में आतंकवाद फैलाने के लिए भेज रहा है , जिससे हमारे निर्दोष सैनिकों को सहीद होना पड़ रहा जो की हमारे लिए बहुत  दुःखत बात है।
अब घाटी में एक नई चीज और देखने को मिल रही जैसे ही इंडियन आर्मी किसी आतंकवादी के ऊपर कारवाई करती है (कोई ऑपरेशन चलाती है )  वहाँ के नवजवान जिन्हें अलगावादी नेता छोटे बच्चे कह रहे है वो इंडियन आर्मी पे पत्थर , पेट्रोल बम , अदि फेंक रहे रहे है।  अब आप ही बताओ जो अपने ही देश की आर्मी पर ऐसा अत्याचार कर रहे  है, उन्हें हमारे देश के नेता बच्चे बोल रहे। और उनको बचाने की कोशिस कर रहे है , और ये सब कुछ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए किया जा रहा है। वैसे ही देश में आतंकवादी कम थे क्या जो अलगावादी नेता उन  बच्चो को भी देश के खिलाप ले आये हैं। सबसे  बड़ी दुःख की बात यह है कि आर्मी और आतंकवाद के बीच में बच्चे मारे जाते है जिसके बाद इसके ऊपर राजनीती होती है। कोई बोलता है निर्दोष मार दिए कोई कहता है बच्चे मार दिए और ये सब कुछ उन अलगावादी नेताओ के कारण हो रहा है।
अभी हालही में इंडियन आर्मी के चीफ ने बयान दिया था कि जो भी आतंकवाद की मद्त करेगा उसके साथ  भी आतंकवादी  जैसा व्यवहार किया जायेगा। में उनकी बात से पूरी तरह सहमत हूं उन्होंने जो भी कहा सही कहा है परंतु कुछ अलगावादी नेताओ को ये सब हजम नही हो रहा है, जिस कारण वो घाटी में नवजवानों को उकसा रहे हैं, परंतु आप को जानकर हैरानी होगी की इन मुड़भेडो में किसी भी अलगावादी नेता का बेटा और कोई रिश्तेदार को कभी गोली नी लगी। में उन लोगो को कहना चाहता हु जिनके बच्चे गोली खाने के लिए आगे बढ़ते है और आर्मी को अपना काम नही करने देते है , में  उनसे अनुरोध करता हूं कि अपने  बच्चो को समजाये और आर्मी को अपना काम करने दें।
भारत माता की जय

Tuesday 28 March 2017

भगवा रंग हिन्दू राष्ट्र की शान


जब से योगी आदित्यनाथ  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है , तब से पूरे देश में भगवा रंग के ऊपर बहुत  टिप्णीया हो रही है। हर न्यूज़ चैनल में उसके उपर डिबेट हो रही ही की भगवा रंग सही है या गलत है। परंतु  इन असमाजिक तत्वो को सही तरीके से भगवा रंग के अर्थ पता ही नही है , तभी ये लोग भगवा के ऊपर टिप्णीया कर रहे हैं।
भगवा रंग का अर्थ होता है बलिदान  दूसरे शब्दों में कहो तो जब साधु संत भागवा धारण कर लेते है तो वो  अपने माँ बाप भाई बहन  सभी का बलिदान कर दते है। अर्थात उन्हें त्याग देते हैं।  परंतु कुछ असमाजिक तत्वो को लगता है, कि जिसने भी  भगवा धारण किया है , वो लोग देश में धुर्वीकरण फैला रहे है। परंतु इन मूर्खो को कोन बतायेगा  की स्वामी विवेकानंद ने  भी भगवा धारण करके देश का कल्याण किया था। स्वामी के बारे में बताया जाता है कि जब उनकी माता की हालत बहुत ही ख़राब थी, तो उनको बुलाने की कोशिस की गयी थी, तो उन्होंने  कहा की  मेरी माँ के और भी बेटे हैं जो उनकी देख रेख कर सकते मेरे लिए तो सिर्फ भारत माता ही सबसे बढ़कर है। जिसकी में सेवा करना चाहता हूँ। तो अब आप लोग समझ ही गये होंगे की भगवा का अर्थ क्या है। 
भगवा रंग हिन्दू राष्ट्र की सान है जिसे झुटलाया नही जा सकता है।  इसी रंग में हमारे राम बसे हुए है, जिससे हर एक हिन्दुओ की भावनाये जुडी हुई है।इसके बावजूद भी भगवा  के ऊपर अंगुलिया उठायी जाती है, अनेक अवधारनाये  बनायी गयी है कि भगवा रंग वाले देश को बाटना चाहते है , परन्तु इन मूर्खो को कोन बतायेगा । इसमें  हमारी आस्था छुपी हुए है।  जितना हमे भगवा रंग से प्यार है उतना ही हमे तिरंगे से प्यार है। इसलिए  उन लोगो से निवेदन करता हूँ जो इसके ऊपर टिप्णी करते हे कृपया  भगवा के ऊपर टिप्णी करना बन्द कर दे। जय श्री राम।

Monday 20 March 2017

The valley of flowers (फूलो की घाटी)


फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (the valley of flower) भारत का  एक राष्ट्रीय उद्यान है जो उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित है। जो की सार्वजनिक  रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। तथा यहां के स्थानीय लोग इसे परीलोक कहते हैं अर्थात परियों का संसार । यह उद्यान चमोली जिले में स्थित है जो की  87.50  किमी क्षेत्र में फैला हुआ है फूलों की घाटी को सन 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।  यहां तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट 275 किमी दूर है। तथा जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है यहाँ से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलोंकी घाटी का  लुप्त ले सकते है,  यहां आ के ऐसा लगता है मानो जैसे आप सचमुच में परियो के संसार में आ गए हैं। परन्तु में तो इसे फूलों से सजा स्वर्ग  कहना चाहूँगा। अनेक प्रकार के फूलों के बीच ऐसे लगता है जैसे आप इस धर्ती से कही और अ गये हैं। और यहां से  नंदा देवी पर्वत के कुछ अलग ही अलौकिक दृश्य देखने को मिलते हैं।


खोज

इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी आर. एल. होल्ड्सवर्थ ने लगाया था। प्रसिद्ध ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक 1931 में गढ़वाल स्थित कामेट शिखर (24,447 फुट) से सफल आरोहण के बाद धौली गंगा के निकट गमशाली गांव से रास्ता भटक जाने के कारण पश्चिम की ओर चले गये थे। जब वो  (16,700)  फुट ऊंचाई का दर्रा पार करके  भ्यूंडार घाटी से जब वह थोड़ा आगे बढ़े तो जब उन्होंने वहां अकल्पनीय सौंदर्य देखा तो उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। तथा ऐसा  सौंदर्य को देखकर वो स्तब्ध रह गये और अपना टेंट वही गाड़ लिया। वहां से लौटने के पश्चात उन्हें इस घाटी की सुंदरता 1937 में दोबारा यहां खींच लायी तथा यहां पहुंचकर उन्होंने गहन रिसर्च किया और लगभग 300 किस्म के फूलों की प्रजातियों को ढूंढ निकाला। इसके पश्चात उन्होंने ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ नामक पुस्तक लिखी। जिस कारण  फूलों से लदी यह घाटी दुनिया को देखने को मिली। यहां पर छोटे-छोटे नालों के किनारे पूल इस तरह उगे रहते हैं मानो उन्हें क्यारियों में उगाया गया हो।


बेहतर मौसम

87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली यह घाटी नवम्बर-दिसम्बर से अप्रैल-मई तक बर्फ से पूरी तरह ढकी रहती है। जून में जब बर्फ पिघलना  शुरु होती है तो यह क्षेत्र हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। जुलाई तक यहां के पौधों में फूल महकने लगते अगस्त में फूलों की घाटी  का अलग ही अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है। क्योंकि इस दौरान फूल पूरी तरह खिल चुके होते हैं लेकिन अक्टूबर से फूल धीरे-धीरे मुरझाने शुरू हो जाते हैं।


Thursday 9 March 2017

Auli (औली) the best hill station

 औली भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है, जो की  घूमने आये हुए सैलानियों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। समुद्र तल से 3050 मीटर (10010 फिट) की ऊँचाई पर यह स्थान बर्फ से  लदालद भरा रहता है।
यहा से हिमालय के  बहुत ही अलौकिक दृश्य देखने को मिलते है, परन्तु यह पहाड़ी इलाका स्कीइंग (skiing ) के लिए पुरे भारत में सबसे ऊपर का स्थान मिला हुआ है, यहा पर साल में 1 बार स्कीइंग का खेल आयोजित होता है, जिसमें देश विदेश के खिलाड़ी हिस्सा लेते है। यहा के लोग औली को औली बुगयाल कहकर पुकारते है। क्योकि यहा पर हरी घास के बड़े बड़े मैदान देखने को मिलते है। निचले इलाके के चरवाहे साल में 1 बार अपने जानवरो को इस बुगयाल में ले के जाते है। जिससे जानवरो को भरपूर मात्रा में  घास चरने को मिल जाती है। और यह सिलसिला सदियों से चलता या रहा है।
औली इतना खूबसूरत पहाड़ी इलाका है कि में ऐसे अपने शब्दों में बया नही कर सकता हू। इस स्वर्ग जैसी जगह से ब्रदीनाथ तथा गंगोत्री के खूबसूरत पहाड़ो का एक अलग ही दृश्य देखने को मिलता है।
ओक के जंगलो के कारण यह पर ठंडी -ठंडी हवाएं बहती है जो की सैलानियों का मन मोह लेती है, इन ठंडी हवाओं के कारण यह का एक अलग ही वातावरण देखने को मिलता है ।
                           कुछ सुन्दर दृश्य
यहां पर घूमने का सबसे उचित समय नवम्बर से लेकर मार्च अंत तक होता है, क्योकि इस समय औली बर्फ की चादर ओढ़े हुए रहता है तथा इसी समय पर यह स्कीइंग का खेल भी आयोजित होता है। जिसमे दूर -दूर से आये हुए खिलाडी हिस्सा लेते है, जिसका यहाँ पर आये हुए सैलानी भरपूर मात्रा में लाभ उठाते है। 

                         सुन्दर घास के मैदान

8वी सदी में महान गुरु अदि शंकराचार्य यहां आये , तभी उन्होंने यह प एक मंदिर की स्थापना की, जो की अपने आप में एक अद्भत मंदिर है। कहते हे की यहां  आये हुआ भक्तो की मन इच्छा अवश्य पूर्ण होती है। इस पहाड़ी इलाके में ज्यादातर भोटिया लोग रहते है जो की कभी तिबत से नाता रखते थे। यहां के लोग दिखते तथा व्यवहार में बहुत ही अच्छे होते है।
औली में 10 साल पहले तक इतना विकास नही हुआ था, उस समय पर स्की के सारे उपकरण ITBP के द्वारा दिये जाते थे । परंतु आज यहाँ की दशा कुछ और है । आज यह पर 3 star होटल तथा अच्छे अच्छे resort भी बन गए है। यह आ के अब ऐसा महसूस  होता है मानो तुम india में नही  switzerland में  आ गये हो।
                        ट्रॉली का लुप्त लेते लोग
                      सायं काल का सुंदर दृश्य

Thursday 2 March 2017

Natwarlal (नटवरलाल) the indian greatest conman

नटवरलाल का जन्म 1912 में  बिहार (सिवान जिले के बंगरा गांव) में हुआ था। जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, जो की अब  नटवरलाल के नाम से जाने जाते है। जिनकी मोत 2009 में हो गयी थी।
ठगी में आने से पहले नटवरलाल एक वकील हुआ करते थे, जो की दिमाग से बहुत ही तेज थे। ठगी में आने के पश्चात  उन्होंने एक से बढ़कर एक कारनामे किये, यहा तक की उन्होंने ताज महल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन तथा भारत के संसद भवन को  उसके  545 मेम्बर्स के साथ बेच डाला था, तथा ताजमहल को तो उन्होंने 2 बार बेच दिया था। वो ठगी का शिकार  दूसरे देश से आये  हुए सैलानियो तथा वह के लोगो को बनाते थे। परन्तु यह  कहना भी गलत होगा की वो दूसरे देश के  ही लोगो को ठगी का शिकार बनाते थे, उन्होंने  भारत  में टाटा , बिरला तथा धीरूभाई अंबानी जैसे बड़े व्यसायी लोगो को भी अपना ठगी का शिकार बनाया। इस काम के लिए उन्होंने खुद को सोशल मेम्बर बता कर अंजाम दिया। तथा उन्होंने भारत में अनेक दुकानदारों को भी अपने ठगी का शिकार बनाया।  अपने पुरे जीवन काल में 100 से अधिक लोगो से करोड़ो रूपये की ठगी की, इन कामो को अंजाम देने के लिए नटवरलाल ने 50 से अधिक चहरे बदले।  वह चहरे बदलने तथा किसी बड़ी हस्ती  के singnature करने में माहिर थे, तथा वह  ठगी करने के लिए नये - नये विचार सोचने में भी मास्टर थे।
नटवरलाल 100 से अधिक आपराधिक मामलो में
लिप्त थे, तथा 8 से अधिक राज्यि की पुलिस ने उन्हें आपराधिक करार दिया था, जिसके लिए उन्हें 113 साल की सजा सुनाई गई थी।  इसके बावजूद भी वो 8 बार जेलो से भागने में कामयाब  रहे थे, परन्तु 9 बार  भी पकड़े जाने बाद वो जेल से भागने में कामयाब हो गए थे।  113 सालो की कारावास में उन्होंने लगभग 20 साल जेल में बिताए। अंतिम बार पुलिस ने उन्हें 1996 में पकडा था, जब वो 86 के हो चुके थे । परन्तु वो इस बार भी पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे और फरार हो गए। अंतिम बार उनको नई देहली के रेलवे स्टेशन पे देखा गया था उसके बाद उन्हें कभी किसी ने नही देखा गया। उनके वकील ने 2009 में उनके मौत की खबर देकर सबको  चौका दिया था।

2021 Pan America

Harley Davidson pan America come in market with revolution max engine, with 1249cc, this is the first off roading bike in Harley Davidson hi...