नटवरलाल का जन्म 1912 में बिहार (सिवान जिले के बंगरा गांव) में हुआ था। जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, जो की अब नटवरलाल के नाम से जाने जाते है। जिनकी मोत 2009 में हो गयी थी।
ठगी में आने से पहले नटवरलाल एक वकील हुआ करते थे, जो की दिमाग से बहुत ही तेज थे। ठगी में आने के पश्चात उन्होंने एक से बढ़कर एक कारनामे किये, यहा तक की उन्होंने ताज महल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन तथा भारत के संसद भवन को उसके 545 मेम्बर्स के साथ बेच डाला था, तथा ताजमहल को तो उन्होंने 2 बार बेच दिया था। वो ठगी का शिकार दूसरे देश से आये हुए सैलानियो तथा वह के लोगो को बनाते थे। परन्तु यह कहना भी गलत होगा की वो दूसरे देश के ही लोगो को ठगी का शिकार बनाते थे, उन्होंने भारत में टाटा , बिरला तथा धीरूभाई अंबानी जैसे बड़े व्यसायी लोगो को भी अपना ठगी का शिकार बनाया। इस काम के लिए उन्होंने खुद को सोशल मेम्बर बता कर अंजाम दिया। तथा उन्होंने भारत में अनेक दुकानदारों को भी अपने ठगी का शिकार बनाया। अपने पुरे जीवन काल में 100 से अधिक लोगो से करोड़ो रूपये की ठगी की, इन कामो को अंजाम देने के लिए नटवरलाल ने 50 से अधिक चहरे बदले। वह चहरे बदलने तथा किसी बड़ी हस्ती के singnature करने में माहिर थे, तथा वह ठगी करने के लिए नये - नये विचार सोचने में भी मास्टर थे।
नटवरलाल 100 से अधिक आपराधिक मामलो में
लिप्त थे, तथा 8 से अधिक राज्यि की पुलिस ने उन्हें आपराधिक करार दिया था, जिसके लिए उन्हें 113 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजूद भी वो 8 बार जेलो से भागने में कामयाब रहे थे, परन्तु 9 बार भी पकड़े जाने बाद वो जेल से भागने में कामयाब हो गए थे। 113 सालो की कारावास में उन्होंने लगभग 20 साल जेल में बिताए। अंतिम बार पुलिस ने उन्हें 1996 में पकडा था, जब वो 86 के हो चुके थे । परन्तु वो इस बार भी पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे और फरार हो गए। अंतिम बार उनको नई देहली के रेलवे स्टेशन पे देखा गया था उसके बाद उन्हें कभी किसी ने नही देखा गया। उनके वकील ने 2009 में उनके मौत की खबर देकर सबको चौका दिया था।
ठगी में आने से पहले नटवरलाल एक वकील हुआ करते थे, जो की दिमाग से बहुत ही तेज थे। ठगी में आने के पश्चात उन्होंने एक से बढ़कर एक कारनामे किये, यहा तक की उन्होंने ताज महल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन तथा भारत के संसद भवन को उसके 545 मेम्बर्स के साथ बेच डाला था, तथा ताजमहल को तो उन्होंने 2 बार बेच दिया था। वो ठगी का शिकार दूसरे देश से आये हुए सैलानियो तथा वह के लोगो को बनाते थे। परन्तु यह कहना भी गलत होगा की वो दूसरे देश के ही लोगो को ठगी का शिकार बनाते थे, उन्होंने भारत में टाटा , बिरला तथा धीरूभाई अंबानी जैसे बड़े व्यसायी लोगो को भी अपना ठगी का शिकार बनाया। इस काम के लिए उन्होंने खुद को सोशल मेम्बर बता कर अंजाम दिया। तथा उन्होंने भारत में अनेक दुकानदारों को भी अपने ठगी का शिकार बनाया। अपने पुरे जीवन काल में 100 से अधिक लोगो से करोड़ो रूपये की ठगी की, इन कामो को अंजाम देने के लिए नटवरलाल ने 50 से अधिक चहरे बदले। वह चहरे बदलने तथा किसी बड़ी हस्ती के singnature करने में माहिर थे, तथा वह ठगी करने के लिए नये - नये विचार सोचने में भी मास्टर थे।
नटवरलाल 100 से अधिक आपराधिक मामलो में
लिप्त थे, तथा 8 से अधिक राज्यि की पुलिस ने उन्हें आपराधिक करार दिया था, जिसके लिए उन्हें 113 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजूद भी वो 8 बार जेलो से भागने में कामयाब रहे थे, परन्तु 9 बार भी पकड़े जाने बाद वो जेल से भागने में कामयाब हो गए थे। 113 सालो की कारावास में उन्होंने लगभग 20 साल जेल में बिताए। अंतिम बार पुलिस ने उन्हें 1996 में पकडा था, जब वो 86 के हो चुके थे । परन्तु वो इस बार भी पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे और फरार हो गए। अंतिम बार उनको नई देहली के रेलवे स्टेशन पे देखा गया था उसके बाद उन्हें कभी किसी ने नही देखा गया। उनके वकील ने 2009 में उनके मौत की खबर देकर सबको चौका दिया था।
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