जैसा की हम सभी जानते है, मसूरी एक पर्वतीय इलाका है , जिसे पहाड़ो की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 35 km दूर तथा देहली से 350 km दूर है।
जो की गढ़वाल हिमलयी क्षेत्र में आता है यह समुद्र तल से लगभग 1880 मीटर (6170फिट) की ऊँचाई पर है, जिस कारण यह पर छोटे - छोटे हरे - भरे पहाडियाँ है। जिनपर भिन्न - भिन्न फूल और छोटे - छोटे झरने दिखाई देते है , तथा इस क्षेत्र में बहुत अधिक मात्रा में बर्फ गिरती है जिस कारण यह का मौसम बहुत ही ठंडा रहता है , जो की पर्यटकों को बहुत भाता है। यह से देहरादून और हिमालयी पर्वतों का एक अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है।
सर्वप्रथम मसूरी की खोज Lt. Frederick Young
के द्वारा की गयी थी, जिनका जन्म 30 नवम्बर 1780 को ( Green Castle, Moville, Ireland, में हुआ था एवं उनकी मृत्यु 24 मई 1874 में Ireland में हुए थी। एक बार Lt. Young इस पहाड़ पे किसी काम के सिलसिले में आये हुए थे। जब उन्होंने वह की सुंदरता देखी तो उनके मन में विचार आया की क्यो ना यह पर एक hunting lodge ( shooting box) बनवा दिया जाये। परन्तु इतना सब करने के बाद भी young से जुडी कोई यादगार चीज आज वहा दिखने को नही मिलती है।
अगर आप ने मसूरी की वादियों में जाने का प्लान बनाया हुआ है तो पहले वहां अपने ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें. मसूरी जाने पर अनेक होटल व रिजौर्ट्स मिलेंगे लेकिन यहां के मसूरी गेटवे रिजौर्ट की बात ही कुछ अलग है. यह से प्रकृति के भरपूर दर्शन किए जा सकते हैं. तथा मसूरी की हसीन वादियों भी देखते को मिलती है।
मसूरी से लगभग 25 km की दूर टिहरी रोड पर स्थित शांत सी जगह धनोल्टी है इस के मार्ग में चीड़ और देवदार के जंगलों के बीच बुरानखांडा से हिमालय का शानदार दृश्य देखा जा सकता है.
मसूरी में छोटे - छोटे जलप्रपात भी दिखने को मिलते है परंतु यह का केम्पटी फौल बहुत ही famous है,
ऊंचे पहाड़ों से गिरता यह जलप्रपात इस वादी का खास आकर्षण है. यह जगह मसूरी से 15 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां उपलब्ध नौकायन और टौय ट्रेन की सुविधा बच्चों को खास लुभाती है. यही नहीं, यह स्थल पिकनिक मनाने के इच्छुक लोगों में बहुत लोकप्रिय है. यह झरना 5 अलग - अलग धाराओं में बहता है। यह स्थल समुद्रतल से 4,500 फुट की ऊंचाई पर है। गर्मियों में यहा बहुत ही अधिक मात्रा में पर्यटक देखने को मिलते है। जो की भरपूर मात्रा में यह का आनन्द लेते है।
गन हिल
यह मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है यहा तक पहुंचने का सफर आप रोपवे के जरिए कर सकते हैं. 20 मिनट का यह रोमांचकारी सफर आप जिंदगी भर नहीं भूलेंगे , यहां से विभिन्न शृंखलाओं, जैसे बदरपूंछ, श्रीकंठ, पीठवारा व गंगोतरी ग्रुप के अनुपम सौंदर्य को भी भरपूर रूप से देखा जा सकता है।सर जौर्ज एवरेस्ट
मसूरी से 6 किलोमीटर की दूरी पर भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जौर्ज एवरेस्ट की ‘दि पार्क एस्टेट’ है. उन का आवास और कार्यालय यहीं था. यहां ऊपर सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. विश्व की सब से ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है यह आप को इस महसूस होगी की आप बदलो से ऊपर आ गए है, मानो जैसे स्वर्ग में घूम रहे हो। मसूरी से लगभग 6 किलोमीटर दूर पर मसूरी झील भी है। यहां पैडल बोट उपलब्ध रहती है. यहां से दून घाटी और आसपास के गांवों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है
वाम चेतना केंद्र
टिहरी बाईपास रोड पर लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर विकसित किया गया यह एक पिकनिक स्पौट है. इस के आसपास पार्क हैं जो देवदार के जंगलों और फूलों की झाडि़यों से घिरे हैं. यहां तक पैदल या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है. पार्क में वन्यप्राणी, जैसे घुरार, हिमालयी मोर, मोनल जंगली जानवर देखने को मिलते है।
क्लाउड एंड
यह स्थान भी मसूरी में है, वर्ष 1838 में एक ब्रिटिश मेजर द्वारा बनवाया गया यह पुराना बंगला है जी की अब होटल में परिवर्तित हो चुका है. चारों तरफ घने जंगलों से घिरे इस बंगले से आप को बर्फ की चादर ओढ़े हिमालय पर्वतमाला व यमुना नदी का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
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